Kanpur- गर्मी के मौसम में पशुओं के लिए हरा चारा नितांत आवश्यक है। लेकिन इस तपती गर्मी में इस समय हरे चारे के रूप में ज्वार एवं बाजरे की फसल मौजूद है।जिसमें हाइड्रोसायनिक नामक अम्ल होता है जो पशु को नुकसान करता है। ऐसे में यह चारा बहुत सावधानी से पशुओं को खाने के लिए दें। यह जानकारी गुरुवार को चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के पशुपालन वैज्ञानिक डॉ. शशिकांत ने दी। उन्होंने बताया कि इस जहरीले अम्ल का निर्माण हरे चारे में मौजूद साइनोजेनिक ग्लूकोसाइड के कारण होता है, इन ग्लूकोसाइड पर चारे अथवा रूमेन में मौजूद एंजाइम की क्रिया से हाइड्रोसायनिक अमल बनता है जो जहर होता है। पशुपालन वैज्ञानिक ने बताया कि साइनाइड विषाक्त में ऑक्सीजन के वाहक एंजाइम प्रभावित होने के कारण शरीर के ऊतकों में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है जिससे दम घुटने से पशु की मृत्यु हो जाती है।
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ऐसे कई पौधे एवं चारे हैं जिनके सेवन से साइनाइड विषाक्तता हो सकती है, किंतु इसमें साइनाइड की मात्रा 500 पी पी एम हरे चारे में एवं 200 पी पी एम सूखे चेहरे में सुरक्षित रहता है, परंतु यह मात्रा जब हरे चारे में 600 पी पी एम से ज्यादा हो जाता है तो पशु के लिए खतरनाक साबित होता है। साइनाइड की मात्रा विभिन्न मौसमों में पौधों के विभिन्न भागों में भिन्न-भिन्न होती है। मुख्यतः ज्वार, बाजरा चारी आदि चारों में कभी-कभी कुछ विशेष परिस्थितियों में साइनोजेनिक ग्लूकोसाइड की अधिक मात्रा होने के कारण इसके सेवन में पशुओं की मृत्यु हो जाती है।