Bhopal- छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के घर पर जांच एजेंसी का छापा

Bhopal- प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आज सुबह छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेश बघेल से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की, जिसमें भिलाई शहर में उनका घर भी शामिल है। इसके अलावा, उनके बेटे चैतन्य बघेल पर करोड़ों रुपये के कथित शराब घोटाले में भी छापेमारी की गई। ईडी अधिकारियों ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दुर्ग जिले में बघेल से जुड़े कम से कम 14 ठिकानों की तलाशी ली। अधिकारियों ने बताया कि छापेमारी के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जांच की गई। खबर सामने आने के बाद ईडी पर निशाना साधते हुए श्री बघेल ने दावा किया कि यह कार्रवाई सात साल से चल रहे “झूठे मामले” को खारिज करने के अदालत के फैसले के बाद की गई। श्री बघेल ने कहा, “सात साल से चल रहे झूठे मामले को अदालत द्वारा खारिज किए जाने के बाद ईडी के मेहमान आज सुबह पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव भूपेश बघेल के भिलाई स्थित आवास में घुस गए। अगर कोई इस साजिश के जरिए पंजाब में कांग्रेस को रोकने की कोशिश कर रहा है, तो यह गलतफहमी है।” धन शोधन जांच के सिलसिले में जिन स्थानों पर छापेमारी की गई उनमें चैतन्य बघेल के करीबी सहयोगियों से जुड़े परिसर भी शामिल हैं।

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जांच कथित शराब घोटाले से जुड़ी है, जिसके बारे में केंद्रीय एजेंसी का मानना ​​है कि इससे राज्य के खजाने को “भारी नुकसान” हुआ है। उनका कहना है कि शराब सिंडिकेट में शामिल लोगों ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से लगभग 2,161 करोड़ रुपये की हेराफेरी की थी। अधिकारियों के अनुसार, चैतन्य बघेल को इस कथित घोटाले से प्राप्त आय प्राप्त हुई थी। ईडी की अब तक की जांच से पता चला है कि शराब सिंडिकेट 2019 से 2022 के बीच संचालित हुआ, जिसने कई तरीकों से अवैध कमीशन के रूप में बड़ी राशि अर्जित की। इनमें से एक तरीका राज्य शराब निकाय द्वारा खरीदी गई शराब के ‘केस’ के हिसाब से डिस्टिलर से रिश्वत लेना था। कथित घोटाले में सरकारी दुकानों से देशी शराब की बिक्री भी शामिल थी, जिसका कोई हिसाब नहीं था। ईडी का मानना ​​है कि राज्य के खजाने में एक भी रुपया नहीं पहुंचा और सारा पैसा सिंडिकेट के संदिग्धों ने हड़प लिया। ईडी के अनुसार, शराब बनाने वालों को रिश्वत भी देनी पड़ती थी, जिससे उन्हें निश्चित बाजार हिस्सेदारी के साथ शराब का कार्टेल चलाने की अनुमति मिल जाती थी। विदेशी शराब के क्षेत्र में भी कमीशन लिया जाता था।

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