Uttarakhand- संतों की वाणी से साधकों को सद्ज्ञान की प्राप्ति होती है : विज्ञानानंद सरस्वती

Uttarakhand-श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परम अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि संतों की वाणी से साधकों को सद्ज्ञान की प्राप्ति होती है और संतों के सानिध्य में रहने वाला साधारण व्यक्त नहीं होता है। परमात्मा सर्वत्र विद्यमान है और गुरु वह आंख है जो परमात्मा को देखने की शक्ति प्रदान करता है। वे आज विष्णु गार्डन स्थित श्री गीता विज्ञान आश्रम में अक्षय तृतीया के उपलक्ष्य में आयोजित वेदांत सम्मेलन को अध्यक्षीय पद से संबोधित कर रहे थे। वेदांत के सिद्धांतों की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि सद्गुरु का मिलना ही परमात्मा का मिलन है और निष्काम कर्म योग ही मुक्ति का माध्यम है। अक्षय तृतीया को ज्ञान और दान को अक्षय बनाने का दिवस बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस व्यक्ति का ज्ञान अक्षय हो जाता है उसका संपूर्ण जीवन सार्थक बन जाता है।

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श्री गुरुमंडल आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप ने ब्रह्म की व्याख्या करते हुए कहा कि ब्रह्म दिखाई देने की वस्तु नहीं है, जबकि इंद्रियों का निर्माण प्रकृति से होता है। परमात्मा को सर्वव्यापी बताते हुए उन्होंने कहा कि परमात्मा सबको देखता है और भेद साधना में है साध्य में नहीं, क्योंकि निष्कामता ही परमात्मा है। सद्गुरु के सानिध्य को जीवन का स्वर्ग बताते हुए उन्होंने कहा कि कोरोना ने यह सिद्ध कर दिया कि व्यक्ति जिनके संपर्क में रहता है उसके गुण उसके अंदर समाहित हो जाते हैं। उन्होंने भगवान परशुराम के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि शस्त्र और शास्त्र की एक ही राशि है, शस्त्र का काम काटना है। परशुराम का वर्णन किसी शास्त्र में नहीं है और न ही पहले पूजा होती थी, लेकिन पूजा समाज की आस्था का विषय है और प्रत्येक व्यक्ति इसके लिए स्वतंत्र है।

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