Lok Sabha Election -लोकसभा चुनाव के आचार संहिता लागू होने के बाद वाहनों की चेकिंग अभियान शुरू हो गई है और इस अभियान के दौरान व्यापारियों की मुसीबत बढ़ गई जो व्यापारी अपने व्यापार के सिलसिले में पूरे वर्ष लाखों रुपए की रकम लेकर के इधर से उधर आते जाते हैं उनके वाहनों को रोक करके चुनाव में लगे अधिकारी द्वारा जांच की जाती है और व्यापारियों को परेशान किया जाता है व्यापारी है तो व्यापार करेंगे रुपया का लेनदेन करेंगे उनके जेब से लेकर वाहनों तक रुपया होगा लेकिन व्यापारी के रुपए को भी चुनाव में लगे जाच अधिकारी काला धन मान लेते हैं और व्यापारी का रुपया जप्त कर लेते हैं यह कहा जाता है कि यह पैसा चुनाव में खर्च करने के लिए जा रहा है जिससे व्यापारियों का व्यापार पूरी तरह से प्रभावित होता है और व्यापारी इस परेशानी से परेशान है लेकिन इसका कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है बीते चुनाव में भी तमाम व्यापारियों का पैसा जांच के दौरान जप्त कर लिया गया था जिसे वापस पाने में व्यापारियों को कड़ी मेहनत करनी पड़ती है इतना ही नहीं बीते चुनाव में तमाम आभूषण व्यापारियों के आभूषणों को भी पुलिस ने जप्त कर लिया था अपने आभूषण को वापस पाने के लिए 2 वर्ष तक कई व्यापारियों को अधिकारियों के आगे पीछे चक्कर करना पड़ा अधिकारी उनके आभूषण को वापस करने में तरह-तरह की अड़चन पैदा करते हैं जब अधिकारियों को खुश कर दिया जाता है तो अड़चन दूर हो जाती है आखिर चुनाव हो रहा है चुनाव से जुड़े नेता चुनाव को प्रभावित करने के लिए धन बाटते हैं चुनाव से जुड़े नेताओं के वाहनों की चेकिंग होनी चाहिए उनसे जुड़े लोगों के पैसे ले जाने पर रोक लगाई जानी चाहिए लेकिन चुनाव के बहाने आम जनता व्यापारी के लेनदेन पर रोक लगाकर व्यापार प्रभावित किया जा रहा है जिससे व्यापारी भी व्यापार कमजोर कर देते हैं व्यापार कमजोर होने से मजदूरों का रोजगार खत्म हो जाता है जिससे मजदूर के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा होता है व्यापार प्रभावित होने से सरकार को राजस्व टैक्स का भी नुकसान होता है चुनाव के दौरान जिन नेताओं द्वारा करोड़ों रुपए प्रचार के दौरान खर्च किया जाता है उनके वाहनों की जांच करने का साहस जांच अधिकारी नहीं कर पाते हैं बीते चुनाव में भी लोकसभा प्रत्याशियों ने चार से पांच करोड रुपए चुनाव प्रचार में खर्च किया था इस बार लोकसभा चुनाव में उम्मीद है कि चुनाव प्रचार के दौरान लोकसभा प्रत्याशियों द्वारा 10 करोड़ रुपए से अधिक की रकम खर्च की जाएगी लोकसभा चुनाव में 10 करोड रुपए की रकम खर्च कर चुनाव प्रभावित करने वाले नेताओं के वाहनों में जांच के दौरान लाखों की रकम जांच अधिकारियों को नहीं मिलती है जबकि पूरे दिन वाहनों का खर्च मीटिंग रैली के खर्च के नाम पर उनके कार्यालय से पैसे बाटे जाते हैं लोकसभा प्रत्याशियों के कार्यालय की स्थिति इतनी खराब होती है कि सुबह से 3 घंटे तक लगातार प्रतिदिन वाहन मालिक को पैसे का वितरण किया जाता है भोजन की व्यवस्था का भी लाखों रुपए प्रतिदिन वितरण किया जाता है साथ ही साथ मंच मीटिंग माइक लाउडस्पीकर टेंट कुर्सी आदि के खर्चे के लिए भी प्रतिदिन सुबह से पैसे का वितरण होता है लेकिन प्रत्याशियों के द्वारा वितरण किया जा रहा पैसा जांच अधिकारियों को नहीं दिखाई पड़ रहा है प्रत्याशियों के कार्यालय में सीसीटीवी कैमरे भी लगे रहते हैं उसकी जांच से भी सब कुछ खुलासा हो सकता है लोकसभा चुनाव में पैसा बांटने को रोकने के लिए बनाई गई टीम द्वारा यह ड्रामेबाजी आम जनता को हजम नहीं हो रही है आखिर कब तक नेताओं की कठपुतली बनकर अधिकारी काम करते रहेंगे और काम के बहाने आम जनता का उत्पीड़न करते रहेंगे यह गंभीर सवाल है निर्वाचन आयोग को इस मामले में गंभीरता दिखानी होगी और करोड़ों रुपए खर्च कर चुनाव जीतने का प्रयास करने वाले नेताओं के ठिकानों पर छापेमारी कर उनके काला धन को खुलासा कर चुनाव को पारदर्शी बनाना होगा