Banaras- पूर्वांचल की अहम वाराणसी सीट पर किसी जमाने में कांग्रेस मजबूत स्थिति में हुआ करती थी। इस सीट पर अब तक हुए 17 चुनावों में 7 बार कांग्रेस ने जीत का परचम फहराया लेकिन पिछले 35 सालों में उसे एक बार जीत नसीब हुई है। पिछले 67 वर्षों में उसका वोट शेयर भी 54 फीसदी से लुढ़ककर 4 फीसदी पर पहुंच गया। पिछले तीन चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जमानत बचा पाने में विफल रहे।
पहले तीन चुनाव कांग्रेस ने जीते
देश में सन् 1952 को हुए पहले चुनाव में वाराणसी संसदीय सीट का नाम बनारस डिस्ट्रिक्ट सेन्ट्रल हुआ करता था। कांग्रेस के रघुनाथ सिंह को यहां का पहला सांसद बनने का सौभाग्य मिला। इसके बाद 1957 और 1962 के चुनाव में कांग्रेस के रघुनाथ सिंह ने जीत की हैट्रिक लगाई। चौथी लोकसभा के लिए 1967 में हुए चुनाव में कांग्रेस के विजय रथ को भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (सीपीएम) के सत्य नारायण सिंंह ने रोक दिया। कांग्रेस प्रत्याशी रघुनाथ को हार का सामना करना पड़ा।
1971 में जीत के साथ वापसी
पांचवीं लोकसभा के लिए वर्ष 1971 में हुए चुनाव में कांग्रेस के राजा राम शास्त्री ने जीत का परचम लहराया। 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर में वाराणसी से भारतीय लोकदल (बीएलडी) के चन्द्रशेखर ने कुर्सी पर कब्जा किया।